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Prakriti, Paryavaran, Van evam Vanjeev

Prakriti, Paryavaran, Van evam Vanjeev

₹290.00Price
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सचमुच ही निबन्ध संग्रह ‘प्रकृति, पर्यावरण, वन एवं वन्यजीव’ में लेखक त्रिवेणी प्रसाद दूबे ‘मनीष’ जी  ने पूरे मनोयोग से प्रकृति की सत्ता को उसके विराट एवं सहज सुंदर रूप में उकेरा है| विशेषतः इस पुस्तक के माध्यम से हमें वन्य-जीवों से सम्बन्धित विशिष्ट जानकारियाँ प्राप्त होती हैं जैसे नवजात हाथी जन्म के समय लगभग अंधे होते हैं और अपने आस-पास के एहसास के लिए सूंड का प्रयोग करते हैं साथ ही गज माताएँ अपने समूह में ‘एलोमदरों’ पूर्ण कालिक बछड़ा पालकों का चयन करती हैं| ‘एलोमादर’ का अर्थ ऐसी माता से है जो स्वयं बछड़ा जनने में असमर्थ है| पुस्तक में विशिष्ट पक्षियों के विषय में भी रोचक जानकारी दी गयी है सुर में गानी वाली पक्षियों जैसे कोयल की प्रजातियाँ, बुलबुलों या स्काईलार्क के विषय में लेखक अपनी पूर्ण संवेदना से लिखता है ‘उनके व्यवहार, संरचनाओं व प्रजनन विधियों से नूतन स्वरों, नवीन स्वरोक्तियों और नये शब्दों का जनन होता है| इनके संदेशों को समझना और इनके प्राकृतवासों को संरक्षित करना प्रत्येक मानव का कर्त्तव्य  है| सच ही है प्रकृति का संरक्षण और पोषण किये बिना मानव जीवन भी सम्भव नहीं है| प्रकृति की विविधता को समर्पित इस निबन्ध संग्रह की भाषा भी सहज, सरल, प्रवाहमय और भावपूर्ण है| इस महत्त्वपूर्ण निबन्ध संग्रह के लिए लेखक को कोटिशः बधाई|
                                                             डॉ. मंजु शुक्ला 
                                                             साहित्य भूषण
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  • Author Name

    Triveni Dubey 'Manish'
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